चन्द्रमा को अर्घ्य देते समय करवाचौथ पूजा की थाली में क्या-क्या होना ज़रूरी है?
* दिनभर व्रत रखने के बाद, दिन में पूजा और कथा सुनने के बाद शाम को जब महिलाएं चंद्रमा को अर्घ्य देती हैं, तो उनकी पूजा की थाली में ये चीज़ें होनी बहुत ज़रूरी है. छलनी, आटे का दीपक (देशी घी का दीया और आटे का दीपक इसलिए रखा जाता है, क्योंकि आटा भी अनाज ही है), फल, ड्राईफ्रूट, मिठाई (मिठाई की जगह घर में जो मीठा बना है, उसे भी रख सकती हैं) और दो पानी के लोटे- एक चंद्रमा को अर्घ्य देने के लिए और दूसरा वो जिससे आप पहले पति को पानी पिलाती हैं और फिर वो आपको पिलाते हैं. पति को पहले पानी इसलिए पिलाया जाता है कि हम उन्हें परमेश्वर मानकर पहले उन्हें भोग लगाते हैं और फिर उसे ख़ुद भी खाते हैं. जिस तरह हम नवरात्रि, शिवरात्रि आदि व्रत में पहले भगवान को भोग लगाते हैं, फिर उसे ग्रहण करते हैं, ठीक उसी तरह करवाचौथ के दिन पति को परमेश्वर मानकर पहले उन्हें भोग लगाया जाता है और फिर ख़ुद उसे ग्रहण किया जाता है. अर्घ्य वाले लोटे का पानी न पीएं. फिर आप पति को फ्रूट, ड्राईफ्रूट और मीठा खिलाएं और पति भी आपको ये सब चीज़ें खिलाएंगे.
* अर्घ्य देते जाते समय वो चुन्नी साथ ज़रूर ले जाएं, जिसे आपने कथा सुनते समय पहना था. चंद्रमा को छलनी में दीया रखकर उसमें से देखें, फिर उसी छलनी से तुरंत अपने पति को देखें. छलनी में दीया रखने का रिवाज़ इसलिए बना, क्योंकि पहले के ज़माने में जब स्ट्रीट लाइट्स नहीं हुआ करती थीं, तो महिलाएं चांद देखने के बाद छलनी में रखे दीये के प्रकाश से अपने पति को देख सकें. कई लोग जलते हुए दीये को पीछे फेंक देते हैं, ऐसा नहीं करना चाहिए. आप उस आटे के दीये को वहीं जलता हुआ छोड़ आएं. कई लोग दीये के बुझने को भी अपशकुन मानते हैं, लेकिन ऐसा नहीं है. यदि तेज़ हवा से दीया बुझ भी जाता है, तो उससे कोई अपशगुन नहीं होता है.
* फिर घर आकर साथ मिलकर खाना खाएं.
* किसी भी पूजा के दिन सात्विक यानी बिना लहसुन-प्याज़ वाला खाना खाया जाता है, इसीलिए करवाचौथ के दिन भी ऐसा ही सात्विक भोजन करें. किसी भी तरह का तामसिक आहार न लें. करवाचौथ को सेलिब्रेट करने के लिए आप अपने पसंद की कोई भी चीज़ बना सकती हैं.
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