जानें कब है देवउठनी एकादशी और क्या है इसका महत्व
कार्तिक महीने की शुक्ल पक्ष की एकादशी को देवउठनी एकादशी के नाम से जाना जाता है। इसे देवोत्थान एकादशी, देव उठनी ग्यारस, प्रबोधिनी एकादशी नामों से जानते हैं। ऐसी मान्यता है कि भगवान विष्णु क्षीर सागर में चार महीने की निंद्रा के बाद जागते हैं। कार्तिक मास की एकादशी के दिन ही भगवान विष्णु जागते हैं इनके जागने के बाद से सभी तरह के शुभ और मांगलिक कार्य फिर से आरंभ हो जाते हैं। इस बार देवउठनी एकादशी 19 नवंबर को है।
तुलसी विवाह
देवउठनी एकादशी के दिन तुलसी विवाह किया जाता है। इस दिन तुलसी जी का विवाह शालिग्राम से किया जाता है। अगर किसी व्यक्ति को कन्या नहीं है और वह जीवन में कन्या दान का सुख प्राप्त करना चाहता है तो वह तुलसी विवाह कर प्राप्त कर सकता है।
जिनका दाम्पत्य जीवन बहुत अच्छा नहीं है वह लोग सुखी दाम्पत्य जीवन के लिए तुलसी विवाह करते हैं।
युवा जो प्रेम में हैं लेकिन विवाह नहीं हो पा रहा है उन युवाओं को तुलसी विवाह करवाना चाहिए।
तुलसी विवाह करवाने से कई जन्मों के पाप नष्ट होते हैं।
तुलसी पूजा करवाने से घर में संपन्नता आती है तथा संतान योग्य होती है।
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