बसंत पंचमी पर सरस्वती पूजा ,बसंत पंचमी का महत्व और पूजा का मुहूर्त
माघ महीने के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को सरस्वती पूजा और वसंत पंचमी के नाम से जाना जाता है। आज हम आपको सरस्वती पूजा का महत्व और सरस्वती पूजा क्यों मनाई जाती है उसके बारे में बता रहे हैं।
देवी सरस्वती विद्या, बुद्धि, ज्ञान और वाणी की अधिष्ठात्री देवी हैं। सृष्टि की रचना के लिए देवी शक्ति में अपने आप को पांच भागों में विभक्त कर लिया। वे देवी राधा, पार्वती, सावित्री, दुर्गा और सरस्वती के रूप में भगवान श्री कृष्ण के विभिन्न अंगों से प्रकट हुईं। उस समय श्री कृष्ण के कंठ से उत्पन्न हुए देवी को सरस्वती के नाम से जाना जाने लगा। देवी सरस्वती के अनेक नाम हैं। जिनमें से वाक्, वाणी, गी, गिरा, बाधा, शारदा, वाचा, श्रीश्वरी, वागीश्वरी, ब्राह्मी, गौ, सोमलता, वाग्देवी और वाग्देवता आदि प्रसिद्ध नाम है।
सरस्वती देवी सौम्य गुणों की दात्री और देवों की रक्षक हैं। सृष्टि का निर्माण इनकी मदद से हुआ है। इसीलिए माघ माह के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को सरस्वती पूजा के नाम से मनाया जाता है। माना जाता है इस दिन देवी सरस्वती का पूजन करने से विद्या और वाणी का वरदान मिलता है।
सरस्वती पूजा को वसंत पंचमी के रूप में भी मनाया जाता है। इस दिन देवी सरस्वती की विधिवत पूजा करके वसंतोत्सव मनाया जाता है और माँ की आराधना की जाती है। यह पूजा प्रत्येक वर्ष इसी दिन की जाती है जिसके साथ-साथ छोटे बालकों का अक्षरारंभ और विद्यारंभ भी किया जाता है।
वसंत पंचमी के दिन सरस्वती पूजा
माघ माह के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को प्रातःकाल जागकर देवी की पूजा करनी चाहिए। स्तुति के बाद संगीत आराधना भी करनी चाहिए। इसके बाद निवेदित गंध, पुष्प, मिष्ठानादि का प्रसाद चढ़ाकर सभी में बांटना चाहिए। विद्या से जुड़ी वस्तुओं में भी देवी सरस्वती का निवास स्थान माना जाता है इसीलिए उनकी भी पूजा करें। तिलक, अक्षत लगाकर भोग लगाएं और धूप-दीप करें। अंत में प्रणाम करके माँ सरस्वती से प्रार्थना करें और विद्या का वरदान मांगे।
सफ़ेद वस्तुओं का प्रयोग करें
माघ शुक्ल पंचमी को अनध्याय भी कहा जाता है। देवी सरस्वती की उत्पत्ति सत्वगुण से हुई है। इनकी पूजा-आराधना में हमेशा श्वेत वर्ण की वस्तुओं का ही प्रयोग किया जाता है। जैसे – दूध, दही, मक्खन, सफ़ेद तिल के लड्डू, गन्ना या गन्ने का रस, पका हुआ गुड़, मधु, श्वेत चन्दन, श्वेत पुष्प, श्वेत परिधान, श्वेत अलंकार, खोए का श्वेत मिष्ठान, अदरक, मूली, शर्करा, सफ़ेद धान के अक्षत, तण्डुल, शुक्ल मोदक, पके हुए केले की फली का पिष्टक, नारियल, नारियल जल, श्रीफल, बदरीफल, पुष्प फल आदि।
बसंत पंचमी शुभ मुहूर्त 2019
ज्योतिष के अनुसार, वसंत पंचमी (सरस्वती पूजा) के दिन को सभी मांगलिक कार्यों के लिए शुभ माना जाता है। इसलिए इस दिन को अबूझ मुहूर्त के रूप में भी जानते हैं। नए कार्यों की शुरुवात के लिए इस दिन को बहुत शुभ माना जाता है। परंतु विवाह और उससे जुड़े कार्यों के लिए पंचांग में दिए गए मुहूर्त को ही चुनना चाहिए।
सरस्वती पूजा 2019 (वसंत पंचमी 2019)
2019 में वसंत पंचमी (सरस्वती पूजा) 10 फरवरी 2019, रविवार को मनाई जाएगी।
वसंत पंचमी के दिन सरस्वती पूजा 2019 का शुभ मुहूर्त
सरस्वती पूजा मुहूर्त = 07:15 से 12:52
पंचमी तिथि का आरंभ = 9 फरवरी 2019, शनिवार को 12:25 बजे से होगा।
पंचमी तिथि समाप्त = 10 फरवरी 2019, रविवार को 14:08 बजे होगा।
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