सरस्वती पूजा पर जरूर पढ़ें सरस्वती वंदना, गीत और आरती
मां सरस्वती की पूजा की बात हो और उनकी वंदना या वंदना गीत न हों ऐसे संभव नहीं है। मां सरस्वती वंदना का महत्व प्राचीन काल से ही भारतीय समाज में रहा है। यही कारण है कि उनकी वंदना के ज्यादातर स्लोक संस्कृत में हैं। हिन्दीं के मूर्धन्य कवि सूर्यकांत त्रिपाठी "निराला" ने जब से 'वीणावादिनि वर दे' की रचना की शायद तब से लोग हिन्दी में उनकी वंदना करने लगे हैं। 10 फरवरी को बसंत पंचमी के मौके पर देशभर के सरस्वती मंदिरों पूजा स्थलों में मां सरस्वती की पूजा की जाएगी। ऐसे में जिन लोगों को मां सरस्वती की कोई भी वंदना या गाना नहीं उनके लिए हम यहां सबसे ज्यादा लोकप्रिय सरस्वती वंदना गीत और वंदना श्लोक दे रहे हैं जिन्हें आप पूजा के दौरान पढ़ सकते हैं ।
सरस्वती वंदना-
या कुन्देन्दुतुषारहारधवला
या शुभ्रवस्त्रावृता
या वीणावरदण्डमण्डितकरा
या श्वेतपद्मासना।
या ब्रह्माच्युतशंकरप्रभृतिभिर्देवैः सदा वन्दिता
सा मां पातु सरस्वती भगवती निःशेषजाड्यापहा ॥
सरस्वती वंदना गीत-
वर दे, वीणावादिनि वर दे !
प्रिय स्वतंत्र-रव अमृत-मंत्र नव
भारत में भर दे !
काट अंध-उर के बंधन-स्तर
बहा जननि, ज्योतिर्मय निर्झर;
कलुष-भेद-तम हर प्रकाश भर
जगमग जग कर दे !
नव गति, नव लय, ताल-छंद नव
नवल कंठ, नव जलद-मन्द्ररव;
नव नभ के नव विहग-वृंद को
नव पर, नव स्वर दे !
वर दे, वीणावादिनि वर दे।
- सूर्यकांत त्रिपाठी "निराला"
मां सरस्वती की आरती
ॐ जय सरस्वती माता, जय जय सरस्वती माता।
सद्गुण वैभव शालिनी, त्रिभुवन विख्याता॥ ॐ जय..
चंद्रवदनि पद्मासिनी, ध्रुति मंगलकारी।
सोहें शुभ हंस सवारी, अतुल तेजधारी ॥ ॐ जय..
बाएं कर में वीणा, दाएं कर में माला।
शीश मुकुट मणी सोहें, गल मोतियन माला ॥ ॐ जय..
देवी शरण जो आएं, उनका उद्धार किया।
पैठी मंथरा दासी, रावण संहार किया ॥ ॐ जय..
विद्या ज्ञान प्रदायिनी, ज्ञान प्रकाश भरो।
मोह, अज्ञान, तिमिर का जग से नाश करो ॥ ॐ जय..
धूप, दीप, फल, मेवा मां स्वीकार करो।
ज्ञानचक्षु दे माता, जग निस्तार करो ॥ ॐ जय..
मां सरस्वती की आरती जो कोई जन गावें।
हितकारी, सुखकारी, ज्ञान भक्ती पावें ॥ ॐ जय..
जय सरस्वती माता, जय जय सरस्वती माता।
सद्गुण वैभव शालिनी, त्रिभुवन विख्याता॥ ॐ जय..
ॐ जय सरस्वती माता, जय जय सरस्वती माता ।
सद्गुण वैभव शालिनी, त्रिभुवन विख्याता॥ ॐ जय..
सरस्वती पूजा की तिथि:
पंचमी तिथि दो दिन होने के कारण बहुत से लोगों में भ्रम की स्थिति की है कि यह त्यौहार कब मनाया जाएगा। बसंत पचमी की उदया तिथि 10 फरवरी को होने के कारण उत्तर प्रदेश समेत देश के अधिकांश हिस्सों में सरस्वती पूजा और बसंत पंचमी का पर्व 10 फरवरी को मनाया जाएगा। ज्योतिषात्रियों के अनुसार 10 फरवरी को ही बसंत पंचमी मनाना शास्त्र सम्मत है।
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