नवरात्रि का दूसरा दिवस - माँ ब्रह्मचारिणी की कथा एवं पूजा विधि
नवरात्रि के दूसरे दिन माँ दुर्गा जी के दूसरे स्वरूप् देवी ब्रह्मचारिणी माता की पूजा की जाती है, माँ दुर्गा जी के इस स्वरूप् को समस्त विद्याओ का ज्ञाता माना गया है. माँ ब्रह्मचारिणी जी ब्रह्माण्ड की रचना करने वाली, ब्रह्माण्ड को जन्म देने के कारण ही देवी के दूसरे स्वरूप् का नाम ब्रह्मचारिणी पड़ा. माँ ब्रह्मचारिणी रूप में ब्रह्मा जी की शक्ति समायी हुयी है।
माँ ब्रह्मचारिणी की कथा –
माना जाता है कि सृष्टि की उत्पत्ति के समय ब्रह्मा जी ने मनुष्यो को जन्म दिया, समय बीतता रहा लेकिन सृष्टि का विस्तार नही हो सका, ब्रह्मा जी भी अचम्भे में पड़ गए, देवताओं के सभी प्रयास व्यर्थ होने लगे, सारे देवता निराश हो उठे तब ब्रह्मा जी ने भगवान् शंकर से पूछा कि ऐसा क्यों हो रहा है, भोले शंकर बोले कि बिना देवी शक्ति के सृष्टि का विस्तार सम्भव नही है, सृष्टि का विस्तार हो सके इसके लिये माँ जगदम्बा का आशीर्वाद लेना होगा, उन्हें प्रसन्न करना होगा. सभी देवता माँ भगवती की शरण में गए, तब देवी माँ ने सृष्टि का विस्तार किया उसके बाद से ही नारी शक्ति को माँ का स्थान मिला और गर्भ धारण करके शिशु जन्म की नींव पड़ी।
माँ ब्रह्मचारिणी की पूजा विधि –
- सर्वप्रथम सुबह उठकर स्नान करके माँ ब्रह्मचारिणी की उपासना के समय पीले या सफ़ेद रंग के वस्त्र पहने
- आपने जिन देवी देवताओ एवं गणों व योगनियों को कलश में आमन्त्रित किया है उनकी फूल, अक्षत, रोली, चन्दन से पूजा करें उन्हें दूध, दही, शर्करा, धृत व मधु से स्नान कराएं और देवी को जो कुछ भी प्रसाद अर्पित कर रहे हैं उसमे से एक अंश इन्हें भी अर्पण करें, प्रसाद के पश्चात् आचमन और फिर पान, सुपारी भेंट कर इनकी प्रदक्षिणा करें.
- कलश देवता की पूजा के बाद इसी प्रकार नवग्रह, दशादिक्याल, नगर देवता, ग्राम देवता की पूजा करें इनकी पूजा के पश्चात् माँ ब्रह्मचारिणी की पूजा करें
- देवी की पूजा करते समय सबसे पहले हाथो में एक फूल लेकर प्रार्थना करें फिर भांति भांति से फूल, अक्षत, कुमकुम, सिंदूर अर्पित करें,
- देवी ब्रह्मचारिणी को अरुहुल का व कमल बहुत पसन्द है, इसकी माला माँ ब्रह्मचारिणी को पहनाये
- इसके बाद भोग में माँ ब्रह्मचारिणी को चीनी चढ़ाएं इससे माँ जल्दी ही प्रसन्न होती हैं
- इसके बाद शिव जी की पूजा करें और फिर ब्रह्मा जी के नाम से जल, फूल, अक्षत आदि हाथ में लेकर ॐ ब्रह्मणे नमः कहते हुए इसे भूमि पर रखें
- अब माँ ब्रह्मचारिणी का ध्यान करते हुए दुर्गा सप्तशती का पाठ करें
- इसके साथ ही मन्त्र, स्त्रोत पाठ, कवच के जाप करें फिर घी व कपूर मिलाकर देवी ब्रह्मचारिणी की आरती करें
- अंत में अपने दोनों हाथ जोड़कर सभी देवी देवताओ को नमस्कार करें और क्षमा प्रार्थना करते हुए इस मन्त्र को बोलें आवाहनं न जानामि न जानामि वसर्जनं, पूजा चैव न जानामि क्षमस्व परमेश्वरी ।।
माँ ब्रह्मचारिणी का ध्यान मन्त्र –
या देवी सर्वभूतेषु माँ ब्रह्मचारिणी रूपेश संस्थिता ।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः ।।
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