सोमवती अमावस्या व्रत 2019- पूजा विधि, महत्व, उपाय और व्रत कथा
सोमवती अमावस्या का महत्व-
हिंदू मान्यताओं के अनुसार सोमवती अमावस्या का दिन काफी शुभ होता है. इस दिन व्रत-उपवास रखने से जीवन में आए अशुभ योग दूर होते हैं और घर-परिवार में सुख समृद्धि आती है. इस दिन महिलाएं व्रत और उपवास रखती हैं और पीपल के पेड़ के साथ ही तुलसी के पौधे की पूजा करती हैं. हिंदू धार्मिक कथाओं में अक्सर अमावस्या की तिथि को अशुभ माना जाता है लेकिन साल में तीन बार आने वाली सोमवती अमावस्या को शुभ माना जाता है. कुंभ मेले में भी एक दिन का स्नान मौनी अमावस्या यानी सोमवती अमावस्या का होता है. हालांकि शुभ दिन होने के बावजूद इस दिन कोई शुभ कार्य शुरू नहीं करना चाहिए.
सोमवती अमावस्या के उपाय
– सोमवती अमावस्या के दिन तुलसी की 108 परिक्रमा करने से दरिद्रता मिटती है।
– इसके बाद क्षमता के अनुसार दान किया जाता है।
– सोमवती अमावस्या के दिन स्नान और दान का विशेष महत्त्व है।
– इस दिन मौन भी रखते हैं, इस कारण इसे मौनी अमावस्या भी कहा जाता है।
– माना जाता है कि सोमवती अमावस्या के दिन मौन रहने के साथ ही स्नान और दान करने से हजार गायों के दान करने के समान फल मिलता है।
सोमवती अमावस्या व्रत कथा
सोमवती अमावस्या की पौराणिक कथा के मुताबिक एक व्यक्ति के सात बेटे और एक बेटी थी। उसने अपने सभी बेटों की शादी कर दी लेकिन, बेटी की शादी नहीं हुई। एक भिक्षु रोज उनके घर भिक्षा मांगने अाते थे। वह उस व्यक्ति की बहूओ को सुखद वैवाहिक जीवन का आशीर्वाद तो देता था लेकिन उसने उसकी बेटी को शादी का आशीर्वाद कभी नहीं दिया। बेटी ने अपनी मां से यह बात कही तो मां ने इस बारे में भिक्षु से पूछा, लेकिन वह बिना कुछ कहे वहां से चला गया। इसके बाद लड़की की मां ने एक पंडित से अपनी बेटी की कुंडली दिखाई। पंडित ने कहा कि लड़की के भाग्य में विधवा बनना लिखा है। मां ने परेशान होकर उपाय पूछा तो उसने कहा कि लड़की सिंघल द्वीप जाकर वहां रहने वाली एक धोबिन से सिंदूर लेकर माथे पर लगाकर सोमवती अमावस्या का उपवास करे तो यह अशुभ योग दूर हो सकता है। इसके बाद मां के कहने पर छोटा बेटा अपनी बहन के साथ सिंघल द्वीप के लिए रवाना हो गया। रास्ते में समुद्र देख दोनों चिंतित होकर एक पेड़ के नीचे बैठ गए। उस पेड़ पर एक गिद्ध का घोंसला था। मादा गिद्ध जब भी बच्चे को जन्म देती थी, एक सांप उसे खा जाता था। उस दिन नर और मादा गिद्ध बाहर थे और बच्चे घोसले में अकेले थे। इस बीच सांप अाया तो गिद्ध के बच्चे चिल्लाने लगे। यह देख पेड़ के नीचे बैठी साहूकार की बेटी ने सांप को मार डाला। जब गिद्ध और उसकी पत्नी लौटे, तो अपने बच्चों को जीवित देखकर बहुत खुश हुए और लड़की को धोबिन के घर जाने में मदद की। लड़की ने कई महीनों तक चुपचाप धोबिन महिला की सेवा की। लड़की की सेवा से खुश होकर धोबिन ने लड़की के माथे पर सिंदूर लगाया। इसके बाद रास्ते में उसने एक पीपल के पेड़ के चारों ओर घूमकर परिक्रमा की और पानी पिया। उसने पीपल के पेड़ की पूजा की और सोमवती अमावस्या का उपवास रखा। इस प्रकार उसके अशुभ योग का निवारण हो गया।
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