वट सावित्री व्रत 2019 - जानें शुभ मुहूर्त,महत्त्व,व्रत के फायदे,पूजन सामग्री और पूजन विधि
हिन्दू धर्म पति और संतान की प्राप्ति और उनकी सलामती के लिए कई व्रत रखे जाते हैं। वट सावित्री व्रत भी उन्ही में से एक है। मान्यताओं के अनुसार, वट सावित्री व्रत अपने पति की लंबी आयु और संतान के उज्जवल भविष्य के लिए रखा जाता है।
कब किया जाता है वट सावित्री व्रत?
वट सावित्री व्रत जिसे वर पूजा भी कहते हैं ज्येष्ठ माह की अमावस्या को रखा जाता है। वर पूजा के दिन सभी सुहागिन और सौभाग्यवती स्त्रियां वट वृक्ष यानी बरगद के पेड़ का पूजन करती है और उसकी परिक्रमा लगाती हैं।
वर पूजा का महत्व
सुहागन स्त्रियों के लिए वर पूजा का बहुत खास महत्व होता है। इस दिन सुहागन महिलाएं अपने सुखद वैवाहिक जीवन और संतान के कल्याण के लिए वट वृक्ष का पूजन करती हैं। माना जाता है, ज्येष्ठ माह की अमावस्या के दिन सावित्री नामक स्त्री में अपने सुहाग सत्यवान के प्राण यमराज से वापस ले लिए थे। तभी से इस व्रत को पति की लंबी आयु के लिए रखा जाने लगा। इस व्रत में वट वृक्ष का महत्व बहुत खास होता है।
वट वृक्ष का महत्व
हिन्दू धर्म में वट वृक्ष को बहुत पूजनीय बताया गया है। बरगद के पेड़ में बहुत सी शाखाएं लटकी हुई होती है जिन्हे सावित्री देवी का रूप माना जाता है। पुराणों के अनुसार, बरगद के पेड़ पर त्रिदेवों का वास होता है। इसलिए वर पूजा में भी वट वृक्ष की पूजा की जाती है।
वट सावित्री व्रत के फायदे
हिन्दू मान्यताओं के अनुसार, जो सुहागन स्त्री पुरे विधि-विधान से इस व्रत को सम्पूर्ण करती हैं उनका सुहाग दीर्घायु होता है। इस व्रत के प्रभाव से वैवाहिक जीवन सुखमय बीतता है। और हमेशा सुख समृद्धि बनी रहती है। वैवाहिक जीवन में आने वाले कष्टों को भी इस व्रत के प्रभाव से दूर किया जा सकता है।
वर पूजा कैसे करें? वट सावित्री व्रत करने का तरीका
वट सावित्री व्रत सुहागन स्त्रियों अपने पति की लंबी आयु के लिए रखती है जिसकी विधि इस प्रकार है –
वर पूजा के लिए विवाहित महिलाओं को बरगद के पेड़ के नीचे पूजा करनी होती है। सुबह स्नान करके एक दुल्हन की तरह सजकर एक थाली में प्रसाद जिसमे गुड़, भीगे हुए चने, आटे से बनी हुई मिठाई, कुमकुम, रोली, मोली, 5 प्रकार के फल, पान का पत्ता, धुप, घी का दीया, एक लोटे में जल और एक हाथ का पंखा लेकर बरगद पेड़ के नीचे जाएं। और पेड़ की जड़ में जल चढ़ाएं, उसके बाद प्रसाद चढाकर धुप, दीपक जलाएं।
उसके बाद सच्चे मन से पूजा करके अपने पति के लिए लंबी उम्र और अच्छे स्वास्थ्य की कामना करें। पंखे से वट वृक्ष को हवा करें और सावित्री माँ से आशीर्वाद लें ताकि आपका पति दीर्घायु हो। इसके पश्चात् बरगद के पेड़ के चारो ओर कच्चे धागे से या मोली को 7 बार बांधे और प्रार्थना करें। घर आकर जल से अपने पति के पैर धोएं और आशीर्वाद लें। उसके बाद अपना व्रत खोल सकते है। कई महिलाएं इस दिन पुरे दिन व्रत रखती है और सूर्यास्त के बाद व्रत खोल लेती है
वर पूजा 2019 शुभ मुहूर्त
2019 में वट सावित्री व्रत 3 जून 2019, सोमवार को है।
ज्येष्ठ अमावस्या का आरंभ = 2 जून 2019, रविवार को शाम 04:39 बजे।
ज्येष्ठ अमावस्या का समापन = 3 जून 2019, सोमवार शान 03:31 बजे।
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