जानें अजा एकादशी का महत्व, पूजा-विधि और शुभ मुहूर्त
एक साल में 24 एकादशियां होती हैं, लेकिन मलमास या अधिकमास होने की स्थिति में इनकी संख्या 26 हो जाती है। हिंदू परंपरा में एकादशी को पुण्य कार्यों के लिए महत्वपूर्ण माना गया है। भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी को अजा एकादशी के नाम से जाना जाता है। इस बार यह एकादशी 26 अगस्त दिन सोमवार को है। ऐसा विश्वास है कि इस व्रत को करने से साधक की सभी मनोकामनाएं पूरी हो जाती हैं। इसके व्रत में भगवान विष्णु का पूजन किया जाता है।
एकादशी का महत्व
पद्म पुराण में बताया है कि जो भी भक्त अजा एकादशी का उपवास सच्चे मन से रखता है और भगवान विष्णु की विधि-विधान से पूजा करता है, उसे बैकुंठ लोक की प्राप्ति होती है और उसके सभी पापों का अंत होता है। उस आत्मा को जन्म-मरण के चक्कर से मुक्ति मिल जाती है। पुराणों में यह भी बताया गया है कि जितना पुण्य कन्यादान, हजारों वर्षों की तपस्या और उससे अधिक पुण्य एकमात्र अजा एकादशी व्रत करने से मिलता है।
एकादशी का शुभ मुहूर्त
अजा एकादशी व्रत = 26 अगस्त को
व्रत का पारण = 27 अगस्त को सूर्योदय के बाद
पारण के दिन द्वादशी सूर्योदय से पहले समाप्त हो जाएगी
व्रत विधि
इस दिन व्रत रखने वाले को प्रात:काल उठकर स्नान वगैरह से निवृत्त होकर सबसे पहले व्रत का संकल्प लेना चाहिए। भगवान विष्णु की प्रतिमा को गंगा जल से स्नान करवाकर गंध, पुष्प, धूप वगैरह समर्पित करें और उनकी आरती करें। भगवान नारायण को तुलसी बहुत प्रिय है, इसलिए उन्हें तुलसीदल भी समर्पित करना चाहिए। इस दिन विष्णु सहस्रनाम का पाठ करना चाहिए और दान देना चाहिए।
एकादशी के दिन क्या करें क्या न करें
शास्त्रों व पुराणों का कहना है कि जो व्यक्ति एकादशी का व्रत रखते हैं उन्हें हमेशा सदाचार का पालन करना चाहिए। साथ ही जो व्रत नहीं भी रखते हैं उन्हें भी एकादशी के दिन लहसुन, बैंगन, प्याज, मांस-मदिरा, तंबाकू और पान-सुपारी से परहेज रखना चाहिए। एकादशी का व्रत बहुत पवित्र माना जाता है। व्रत रखने वाले को दशमी तिथि के दिन से ही मन में भगवान विष्णु का ध्यान करें।
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